अधिकारी नाम सुनकर आम जनमानस के मन में यह भावना आती है कि आखिरकार मैं उनसे मिलूंगा कैसे और फिर वह अधिकारी अगर आईएएस हो तो यह संभावना है और भी ज्यादा अधिक हो जाती है कि व्यक्ति बात करने मिलने से तो घबराता ही है साथ ही साथ अधिकारी का समय अगर मिल जाए तो वह बहुत बड़ी बात है लेकिन उत्तराखंड में कुछ एक ऐसे अधिकारी हैं जिनको देखकर आम जनता से लेकर विभागों के कर्मचारी भी यह कहने पर मजबूर हो जाते हैं कि काश हर अधिकारी ऐसा ही सोचता। जी हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के आईएएस अधिकारी बंशीधर तिवारी की। बंशीधर तिवारी उत्तराखंड शासन में इस समय शिक्षा महानिदेशक सूचना महानिदेशक और देहरादून मसूरी विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं तीनों ही विभागों के काम संभालने के बाद उनका काम दिख रहा है.
काम बड़ा हो या छोटा मुस्कराहट है पहचान
उत्तराखंड शासन हो या फिर जनपद वैसे तो तमाम अधिकारी पर सरकार सिस्टम की पूरी नजर रहती है कौन कैसा काम कर रहा है इस बात को सबसे बेहतर जनता का फीडबैक बता सकता है. बंशीधर तिवारी को लेकर न केवल उनके विभाग से जुड़े लोग बल्कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी क्या सोचते हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री और सरकार की तमाम योजनाओं को जन-जन तक पहुंचने वाले विभाग सूचना विभाग की जिम्मेदारी भी बंशीधर तिवारी को सौपी गई है राजधानी देहरादून की रूपरेखा दिशा और दशा को बदलने वाली देहरादून मसूरी विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर है इतना ही नहीं उत्तराखंड में शिक्षा विभाग कितना महत्वपूर्ण है यह बात किसी से छिपी नहीं है और शिक्षा जैसे प्रमुख विभाग के महानिदेशक की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधे पर है.
आजमगढ़ से तालुख लेकिन फ़िक्र कर्मभूमि की
आजमगढ़ से ताल्लुक रखने वाले बंशीधर तिवारी उत्तराखंड में इससे पहले भी कई और जिम्मेदारियो के साथ-साथ अन्य जनपदों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं पढ़ने लिखने का शौक रखने वाले इन अधिकारी को लोग इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि जब कोई भी व्यक्ति इनसे सीधा संवाद करता है तो यह उसे यह एहसास नहीं होने देते कि वह किस पद पर बैठे हुए हैं हर मुद्दे की बारीकि को समझने के बाद जवाब देने वाले अधिकारियों में से एक बंशीधर तिवारी बेहद सिंपल सोबर है.उत्तराखंड के विकास और अन्य मुद्दों पर वो बेहद सकारात्मक सोच रखते है.
पहली बार कुछ हुआ बेहतर
एक पत्रकार होने के नाते यह बताना बेहद जरूरी है कि पत्रकारों की समस्या और उसके समाधान को लेकर सूचना महानिदेशक ने जो पहल शुरू की है वह काबिले तारीफ है अब तक छोटा पत्रकार हो या बड़ा पत्रकार उत्तराखंड में सूचना महानिदेशक तक पहुंचाने के लिए हफ्तों और महीनों का इंतजार करता था लेकिन बंशीधर तिवारी जानते हैं कि बिना संवाद किए किसी भी समस्या का ना तो समाधान हो सकता है और ना ही उसके बिना राज्य सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाया जा सकता है. लिहाजा बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ हुई बैठक में जिस तरह से तहसील स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के पत्रकारों के लिए नियम और कायदे कानून बदले गए हैं उसके बाद उम्मीद यही जताई जा रही है कि अब तक गांव देहात में काम करने वाले पत्रकार जो सिर्फ काम करना ही जानते थे सरकार पत्रकारों के लिए क्या कुछ करती है इस बात की जानकारी उन तक नहीं थी या फिर यूं कहे संस्थान भी उन्हें अधिक ना कुछ देकर केवल काम ले रहे थे उन पत्रकारों के लिए भी उत्तराखंड सूचना विभाग ने मान्यता के साथ-साथ अन्य सुविधा देने का प्लान बनाया है जल्द ही इसको धरातल पर भी उतारा जाएगा. उत्तराखंड गठन के बाद से लेकर आज तक पत्रकार राहत कोष में केवल 5 करोड रुपए ही जमा थे 2 साल की सरकार और पदभार संभालने के बाद इसी हफ्ते उसे बढ़ाकर 10 करोड रुपए कर दिए गए हैं.
तब चर्चा में आ गए थे तिवारी
इतना ही नहीं इन्वेस्टर समिट हो या उत्तराखंड में आई आपदा मुख्यमंत्री की योजनाओं से संबंधित जानकारी हो या पत्रकारों की जिज्ञासा उसको लेकर पूरा सूचना विभाग उनके साथ मिलकर वह सभी जानकारियां पहुंच रहा है जो शायद अब तक सरकारी दफ्तर तक ही सीमित रहती थी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उनके काम के कायल है और यही कारण है कि तमाम ऐसे मौके पर धामी उन पर विश्वास जताते हुए दिखाई देते हैं. सूचना विभाग के साथ-साथ शिक्षा विभाग में भी उनके काम को लेकर कर्मचारी हमेशा चर्चा करते रहते हैं उनकी काबिलियत और सादगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की शिक्षा महानिदेशक बनने के बाद एक बार इन अधिकारी ने अपना खुद का वेतन रोक दिया था दरअसल हुआ यह था कि स्कूल में छात्रों को विभाग की तरफ से किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई थी और इस कमी की जिम्मेदारी खुद लेते हुए उन्होंने शासन को एक पत्र लिखकर यह कह दिया था की उनका वेतन रोक दिया जाए इस घटना के बाद इस बंशीधर तिवारी खूब चर्चा में आए थे.
समन्वय है खासियत
देहरादून मसूरी विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी संभालने के बाद से लेकर अब तक शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां पर उनके काम की छाप देखी जा सकती है इतना ही नहीं मंजिलों के नक्शे पास करने का मामला हो या फिर बिल्डरों के साथ संबंध में बनाने का इस काम में आईएएस तिवारी बेहतर काम कर रहे है. 2020 बैच के उत्तराखंड कैडर के बंशीधर तिवारी से पहले भी कई बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.