उत्तराखंड में चुनाव चाहे छोटा हो या बड़ा, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व देवभूमि के मतदाताओं को पूरा सम्मान और दुलार देता है। वहीं, कांग्रेस हर चुनाव में मतदाताओं तक पहुंचने में औपचारिकता भर रस्म अदायगी करती है। यह हम नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव में देवभूमि पहुंचे भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं और स्टार प्रचारकों की संख्या बता रही है।
अब तक राज्य में हुए चुनाव प्रचार पर नज़र डालें तो भाजपा ने जिस गंभीरता से चुनाव में प्रचार किया है, उसके आधे तक भी कांग्रेस नहीं पहुंची है। भाजपा ने राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में *प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली कर छोटे राज्य के मतदाताओं के सम्मान का बड़ा संदेश दिया है।* इसके अलावा *भाजपा की टॉप फाइव केंद्रीय लीडरशिप और स्टार प्रचारकों में शामिल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जैसे कद्दावर नेताओं ने कई जनसभाएं कर देवभूमि के अंतिम मतदाता का सम्मान कर चुनाव में हर वर्ग को साधने की कोशिश की है।* इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने 70 विधानसभाओं में करीब डेढ़ सौ से ज़्यादा जनसभाएं, रोड शो, कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रम कर सरकार की उपलब्धियों पर वोट मांगे। जबकि *अकेले मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में 90 से ज्यादा जनसभाएं, रोड शो, कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर पार्टी चुनावी मोर्चे पर अंतिम दिन तक डटे रहे।* मुख्यमंत्री धामी ने एक दिन में 3 से 4 रिकॉर्ड कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर सरकार और संगठन में समन्वय की मिसाल कायम की है। इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी और संगठन के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम है कि केंद्रीय नेतृत्व ने भी राज्य की पांचों लोकसभा सीट पर गंभीरता से प्रचार किया है। वहीं प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रचार की बात करें तो केंद्रीय नेतृत्व ने पहले टिकट बंटवारे में देरी, फिर प्रचार में औपचारिकता भर जिम्मेदारी निभाने का काम भी पूरा नहीं किया है।
कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लंबी सूची तो जारी की, लेकिन राज्य में एंट्री सिर्फ प्रियंका गांधी की हुई। प्रियंका की दो लोकसभा सीट पर चुनावी जनसभा कर कांग्रेस ने प्रचार की जिम्मेदारी की इतिश्री कर दी। सचिन पायलट ने भी हल्द्वानी में रोड शो कर केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जबकि अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने यहां कदम तक नहीं रखा। राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपने बेटे की हरिद्वार सीट से बाहर नहीं निकल पाए। हालांकि, कुछ स्थानों पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने जरूर उपस्थिति दर्ज कराई। ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने ये लोकसभा चुनाव कितनी गंभीरता से लड़ा और कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष देवभूमि के मतदाताओं का कितना सम्मान है। बहरहाल, राज्य की हितैषी बताने वाली कांग्रेस देवभूमि के दंगल से इस बार भी दूर ही नज़र आई।