निर्दलीय खानपुर से विधायक उमेश कुमार ने जब से ताल ठोकी है तब से इस लोकसभा में एक ही बात जोरों पर उठाई जा रही है कि उमेश कुमार बीजेपी की बी पार्टी है
लोकसभा चुनाव में सबसे रोचक मुकाबला हरिद्वार लोकसभा से देखा जा रहा है यहां पर भाजपा ने जहां त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस के टिकट पर हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत चुनाव भी मैदान में है लेकिन इन दोनों नाम के बीच निर्दलीय खानपुर से विधायक उमेश कुमार ने जब से ताल ठोकी है तब से इस लोकसभा में एक ही बात जोरों पर उठाई जा रही है कि उमेश कुमार बीजेपी की बी पार्टी है इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमने हरिद्वार के कुछ प्रमुख पत्रकारों और जानकारी से बातचीत करनी चाहिए और यह समझने की कोशिश की कि आखिरकार क्या हकीकत में उमेश कुमार बीजेपी को अंदर खाने सपोर्ट कर रहे हैं क्या वह चाहते हैं हरीश रावत के पुत्र इस चुनावी मैदान में बुरी तरह हारें
हरिद्वार की राजनीति को लगभग 30 वर्षों से देखते आ रहे पत्रकार आदेश कहते हैं कि इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ निर्दलीय उमेश भी अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं हरिद्वार लोकसभा सीट पर अगर टक्कर की बात की जाए तो वैसे तो हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी में यह टक्कर रहती है लेकिन बीजेपी को ऐसा लग रहा है कि यह सीट उसके लिए बेहद आसान है जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस ने अच्छी पकड़ बना रखी है और इसके साथ ही निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी लगातार गांव गांव जाकर अपना जनाधार बढ़ा रहे हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार शहर में घूम कर और उनके नेता भी जितना हो सकता है शहर में ही घूम रहे हैं लिहाजा भाजपा को अपनी ग्रामीण पट्टी को भी मजबूत करना जरूरी है रही बात उमेश कुमार की तो मुझे ऐसा लगता है कि अगर उमेश कुमार त्रिवेंद्र सिंह रावत को सपोर्ट कर रहे हैं या बीजेपी को सपोर्ट कर रहे हैं या कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं तो इस बात को हम ऐसे देख सकते हैं कि यह वही उमेश कुमार है जिन्होंने पत्रकारिता करते हुए स्टिंग ऑपरेशन से न केवल हरीश रावत की सरकार गिराई और उसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में भी यह खूब चर्चा में रहे और त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन्हें फिर बाद में जेल तक भिजवा दिया त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के दौरान ही उमेश कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ था इसके साथ ही niकई और मुकदमे भी उमेश कुमार के ऊपर डाले गए थे जो अभी भी चल रहे हैं
इसलिए यह समझना थोड़ा मुश्किल है कि क्या यह सभी दुश्मनी अब दोस्ती में बदल गई है अगर ऐसा है तो दोनों के बयान भी बीते दिनों सुर्खियों में रहे जब उमेश को पहचानने से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मना कर दिया और इसके जवाब में उमेश ने भी पलट कर जवाब देते हुए यह कहा कि वह सब कुछ भूल सकते हैं लेकिन उमेश कुमार का नाम नहीं भूल सकते दोनों के बीच चल रही बयान बाजी यह बता रही है कि अंदर खाने धीरे-धीरे उमेश हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत दोनों के लिए सर दर्द बन रखे हैं.